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Arya Samaj Indore - 9302101186. Arya Samaj Annapurna Indore |  धोखाधड़ी से बचें। Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage Booking और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज मन्दिर बैंक कालोनी अन्नपूर्णा इन्दौर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित इन्दौर में एकमात्र मन्दिर है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज मन्दिर बैंक कालोनी के अतिरिक्त इन्दौर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Mandir Bank Colony Annapurna Indore is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Mandir Annapurna Indore is the only Mandir controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Indore. We do not have any other branch or Centre in Indore. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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युवा बने रहने के स्वर्णिम सूत्र

इस भौतिक युग में मानव मशीन बन गया है। वह हमेशा तनाव, चिन्ता और कार्य के दबाव में रह रहा है। न सोकर उठने का निश्चित्‌ समय है, न नहाने का और न ही सोने का। नशे की लत बढ़ती जा रही है। पान मसाला (तम्बाकू), शराब और सिगरेट फैशन की चीज हो गई है। परिणामस्वरूप लोग जवानी में ही बूढ़े हो रहे हैं। पहले कहा जाता था- साठा सो पाठा। लेकिन अब साठ के हुए कि ऊपर जाने जैसी स्थिति बन जाती है। 35-40 की आयु में चेहरे की चमक गायब होती जा रही है। कामशक्ति कम और शरीर कमजोर होता जा रहा है। किसी शायर ने कहा है-

तिफ्ली गई अलाम ते, पीरी अयां हुई।

हम मुन्तजिर ही रह गए, अहदे शबाब के।।

                यहॉं युवा बने रहने के स्वर्णिम सूत्र बताये जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर व्यक्ति दीर्घायु तथा चिर यौवन प्राप्त कर सकता है और "जीवेम शरद शतम्‌' की कामना पूर्ण हो सकती है।

                1. रात में जल्दी सोएं एवं सुबह जल्दी उठें। सदा युवा रहने की आकांक्षा वालों को रात में 9-10 बजे अवश्य सो जाना चाहिये। प्रातः 4-5 बजे जाग जाना चाहिये। स्वप्न दोष के रोगी यह जानते हैं कि स्वप्नदोष रात्रि में होने के बजाय सुबह 4 बजे के बाद ही अधिकतर होता है। अतः ऐसे लोग सुबह 4 बजे उठ जाएं तो स्वप्नदोष नहीं होगा।

                2. प्रातः बिस्तर छोड़ने के बाद कुल्ला करके शौच जाने से पहले एक गिलास पानी पीना चाहिये। इससे पेट साफ होता है तथा पेट के रोग भी नहीं होते हैं। इसमें नीम्बू का रस तथा एक चम्मच शहद मिला लें तो और अच्छा है ।

                3. जो लोग शरीर-श्रम नहीं करते हैं, उन्हें सुबह-शाम खुली हवा में आधा-एक घण्टा टहलना चाहिए। सदा स्वस्थ रहने के लिए टहलना आवश्यक है।

                4. प्रतिदिन दोनों समय (सुबह-शाम) शौच के लिए नियत समय पर जाना चाहिए। शौच की हाजत महसूस हो या न हो। शौच जाते समय जोर नहीं लगाना चाहिए।

                5. सुबह उठने के बाद तथा रात में सोने से पहले दांतों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए, ऐसा करने से दांत मजबूत रहते हैं तथा दन्तरोग नहीं होते हैं। पर दांतों को साफ करने के लिए कभी कठोर ब्रश का उपयोग नहीं करना चाहिए। दांतों को साफ करने के लिए दो मिनिट ब्रश करना पर्याप्त है।

                6. शीतकाल में सुबह स्नान के पूर्व धूप में खड़े होकर समूचे शरीर पर सरसों का तेल मलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। इससे त्वचा को चिकनाई प्राप्त होती है तथा शरीर को विटामिन "डी' प्राप्त होता है, जो हड्डियॉं मजबूत करता है।

                7. प्रतिदिन स्नान करना चाहिए। स्नान से शरीर की बाहरी गन्दगी तो दूर होती ही है, थकावट भी दूर होती है तथा मन में प्रसन्नता आती है। अगर दोनों वक्त (सुबह-शाम) स्नान करना सम्भव न हो, तो सुबह शौचादि कर्मों से निवृत्त होकर नाश्ते या भोजन से पहले स्नान कर लेना चाहिए।

                8. नाश्ता, भोजन आदि नियत समय पर लें। जैसे सुबह का नाश्ता 7-8 बजे, दोपहर का भोजन 12-1 बजे, शाम का अल्पाहार 4-5 बजे, रात का भोजन 7-8 बजे।

                9. नाश्ते या भोजन के तुरन्त पहले या तुरन्त बाद पानी नहीं पीना चाहिए। हॉं, बीच में थोड़ा पानी पिया जा सकता है

                10. एक-एक गिलास करके रोज कम से कम 7-8 गिलास पानी पीना चाहिए। जो लोग कम पानी पीते हैं उन्हें अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है। पानी स्वास्थ के लिए आवश्यक है।

                11. भोजन खूब चबाकर खाना चाहिये। दांतों का काम आंतों को न करना पड़े। भोजन को इतना चबाएं कि तरल हो जाए।

                12. सुबह के नाश्ते में अंकुरित अनाज (गेहूँ, चना, मूंग) लेना चाहिए। इसमें भिगोये हुए मूंगफली के दाने मनुक्का मिला सकते हैं। इससे शरीर को भरपूर पोषण प्राप्त होता है।

                13. दोपहर-शाम के भोजन में चावल-रोटी-कम, लेकिन सब्जी अधिक लेना चाहिए। थोड़ा सलाद भी अवश्य लेना चाहिए।

                14. शाम के अल्पाहार में कोई एक फल या रस लेना चाहिए। मौसम के सभी फल अच्छे होते हैं। अतः जिस मौसम में जो फल मिले उसे लें। जैसे-अमरूद, सेव, केला, पपीता, सन्तरा, अनार आदि। फलों का रस (जूस) भी लिया जा सकता है।

                15. हमेशा भूख से कम ही खाएं। यह नहीं कि भोजन स्वादिष्ट है तो पेट भरकर खा लिया जाए। पेट का कुछ हिस्सा हवा-पानी के लिए खाली छोड़ना चाहिए।

                16. आंवला, गाजर  स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं। आंवला विटामिन "सी' का भण्डार है। गाजर में विटामिन "ए' प्रचुर मात्रा में रहता है। आंवलों का सेवन कच्चे चबाकर या चटनी या मुरब्बा बनाकर करना चाहिए। नित्य एक-दो आंवले किसी न किसी रूप में खाना चाहिये। उसी तरह पूरे मौसम गाजर का रस या गाजर का हलवा खाना चाहिए।

                17. दूध अमृत है। अतः दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए। दूध तुरन्त का दुहा या गर्म करके ठण्डा किया हुआ पीना चाहिए। रोज कम से कम एक पाव 250 ग्राम दूध जरूर पीना चाहिए।

                18. शाकाहार सर्वोत्तम आहार है। लम्बी आयु और चिर यौवन की अभिलाषा रखने वालों को शाकाहार ही ग्रहण करना चाहिए। मांसाहार शरीर की प्रकृति के अनुकूल नहीं है।

                19. तेल-मसाले का सेवन कम से कम करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य ठीक रहेगा।

                20. चाय, कॉफी का सेवन भी बहुत कम करना चाहिए अथवा नहीं करना चाहिए।

                21. सिगरेट, पान-मसाला, शराब, गांजा स्वास्थ्य के शत्रु हैं तथा आयु को क्षीण करते हैं। अतः अपना हित चाहने वाले इनका सेवन कदापि नहीं करें। ये सब "धीमा जहर' है।

                22. मल-मूत्र, भूख-प्यास, नीन्द, जम्हाई आदि के वेगों को बलात्‌ रोकना नहीं चाहिए। इनको रोकने से कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं।

                23. चिन्ता, क्रोध, शोक, मोह, लोभ, भय स्वास्थ्य के शत्रु हैं। इनसे बचना चाहिए।

                24. प्रातःकाल उषापान (जल पीना) करना चाहिये। भोजन पश्चात्‌ छाछ (मट्‌ठा) पीना चाहिये और दिन के अन्त में (सांय) दूध पीना चाहिये। ऐसा करने से कोई भी रोग नहीं होता है।

                25. भोजन के तुरन्द बाद रति-प्रसंग नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से खाया हुआ अन्न ठीक से नहीं पचता है तथा पाचन सम्बन्धी रोग हो जाते हैं।

                26. सप्ताह या दो सप्ताह (पखवाड़े) में एक दिन उपवास अवश्य करना चाहिए तथा उस दिन नीम्बू-पानी या नीम्बू-पानी-शहद के अतिरिक्त कुछ नहीं लेना चाहिए। इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है।

                27. समूचे शरीर में प्रतिदिन या एक दिन छोड़कर सरसों के तेल की मालिश करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर सुन्दर एवं स्वस्थ बना रहता है तथा परिश्रम जनित थकावट दूर होती है। सिर में मालिश से सिरदर्द दूर होता है, बाल काले, घने व मुलायम रहते हैं तथा सुखपूर्वक नीन्द आती है।

28. नियमित व्यायाम, धूप सेवन और खुली हवा में घूमना शरीर को सुदृढ़ बनने में सहायक है।

29. विवाहित पुरुषों को संयम से रहने में जितना शारीरिक लाभ है, उतना लाभ और कोई नहीं पहुंचा सकता है।

 30. प्रतिदिन हॅंसते और मुस्कुराते रहने की आदत से आपका व्यक्तित्व निखरेगा और प्रसन्न चित्त रहने से कई रोग दूर होंगे।

31. आधुनिक एंटीबायोटिक तथा अन्य औषधियोें का सेवन बहुत कम करें या नहीं करें। ये औषधियॉं प्रतिकूल प्रभावयुक्त होती है और एक रोग दबाकर दूसरा रोग उत्पन्न करती हैं। -डॉ. मनोहरदास अग्रावतदिव्य युग अप्रैल 2009, Divya yug April 2009

 

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